Shaheede Karbala Hussain Hussain

Noha

शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन
ग़रीबे नेनवा हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

दायरे शाम में आये जो सर शहीदों के
तो ज़र्द हो गए चेहरे सभी असीरों के
थे सारे ग़मज़दा हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

मैं कर्बला तेरा चेहलुम मानाने आयी हूँ
निशाँ रसन के हैं जो वो दिखाने आयी हूँ
ए मेरे बावफ़ा हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

ना समझा शाम में रुतबा बतूल ज़ादी का
उदू ने फेका है आले रसूल पे सदक़ा
रसन मैं है गला हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

अँधेरे छोड़के आया वो रोशनी की तरफ
कहा ये हर ने के पाया है मैंने उनसे शराफ
है खुल्द का पता हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

यज़ीद लेता था जब इम्तेहां सकीना का
असीर सुनते थे रोकर बयां सकीना का
सताया बे खता हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

बिछा के फ़र्शे अज़ा करके मजलिसे सर्वर
दिया है ज़हरा को पुरसा ज़हूर रो रोकर
सुना के मर्सिया हुसैन हुसैन
शहीदे कर्बला हुसैन हुसैन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *