Deen bimar tha sajjad shifa di tumne

Noha

दीन बीमार था सज्जाद शफा दी तुमने
ज़िम्मेदारी शहे वाला की निभा दी तुमने

ज़प्त किरदार बना
सब्र मेयार बना
तोको ज़ंजीर से तारीख बना दी तुमने

रेक्ज़ारों पा चले
और खारों पा चले
हर क़दम फतह की तस्वीर सजा दी तुमने

कोड़े बरसाए गए
ज़ख्म पहुंचाए गए
शुक्र है तेरा इलाही ये सदा दी तुमने

ज़हन जलते ही रहे
दिल पिघल ते ही रहे
ऐसी दुनिया के यज़ीदो को सज़ा दी तुमने

हक़ का इज़हार किया
कुफ्र को खार किया
जो नक़ाबों में थे ज़ालिम वो हटा दी तुमने

ज़ोके मातम भी दिया, शाह का ग़म भी दिया ?
अपने ग़मगीन की तौक़ीर बढ़ा दी तुमने

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *