Azme Husaine Dekhe Zamana

Noha

अज़मे हुसैनी देखे ज़माना
राहे खुदा में घर का लुटाना

एक तरफ़ है दर्द की दुनियां
एक तरफ बे दर्द ज़माना

रस्मे वफ़ा अब्बास से पुछो
मश्क़ न छूटी कट गया शाना

हाए गुलुए असगरे नादा
तीरे सितम का हुआ है निशाना

ये भी है एक एजाज़े शहादत
ताज़ा है अब तक ग़म का फ़साना

सिब्ते नबी से सीख ले दुनिया
राहे ख़ुदा में घर का लुटाना

क़ैद से छूट कर अहले वतन से
कहतीं थीं ज़ैनब ग़म का फ़साना

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