by Bayaz-e-Gham | Sep 30, 2019 | Nohay
कुछ ख़ैमे लगे है जंगल में और छायी हुई वीरानी है अन्सारे हुसैनी प्यासे है और सामने बहता पानी है इस तरह इबादत होती है मैदान की जलती रेती पर ज़ालिम की छुरी है गर्दन पर सजदे में झुकी पेशानी है था दश्ते बला में कौन ऐसा जो फौजे उदू से ये कहता तुम जिसको सताते हो अदा इस्लाम का...
by Bayaz-e-Gham | Sep 30, 2019 | Nohay
ज़ुल्म के अंधेरो में सब्र की कहानी है अल आतश की आवाज़े दूर तक न पानी है आके हज़रते अय्यूब दो सहारा मौला को हम शबीहे अहमद की लाश अब उठानी है आसमा लरज़ता था और ज़मीन हिलती थी जब कहा ये आबिद ने हाय नातवानी है कर्बला के मैदान में सब्र्रे शाह का उन्वान एक नौजवानी है एक बेज़बानी...