शोर है शाम मैं आज अहले हरम छूटते हैं
बेकसों बे वतनो खस्ता ए ग़म छूटते हैं
क़ैदियों पर किया हाकिम ने करम छूटते हैं
आओ ऐ यारों असीराने सितम छूटते हैं
आते तो देख चुके जाते भी इनको देखो
दरे ज़िन्दाँ पा तमाशे को खड़े हो देखो
हुक्म है क़ैदियों को इज़्न रिहाई का दो
और जो लूटा है बेवों का असासा ला दो
बेड़ियाँ पाऊँ से बीमार के भी कटवा दो
और इन्हें राहलये जाते सफर दिलवा दो
जा बजा जबके रिहाई की खबर जा पहुंची
दरे ज़िन्दाँ पा हर एक ख़ल्क़े खुदा आ पहुंची
दरे ज़िंदा पा दोरस्ता खडी थी ख़ल्क़े खुदा
लोग चौकी के उठे कुफल खुला ज़िन्दाँ का
और नक़ीबों ने असीरों से चिल्ला के कहा
उट्ठो क्या बैठे हो अब हमने किया तुम को रिहा
जल्द दरबार में हाज़िर हो निकल कर बेवों
हाकिमे शाम को मुजरा करो चल कर बेवों
यक बायक ये जो सदा कान मैं सबके पहुची
बच्चे गोदी मैं लिए खाक से उट्ठे क़ैदी
खौफ से छा गयी मासूमों के मुंह पर ज़र्दी
सहम कर कहने लगे हमको छुपाओ जल्दी
फौजे क़ातिल के सितमगर नज़र आते हैं
खौफ के मारे जिगर आब हुए जाते हैं
हमको नज़दीक ना इनके लिए जाओ अम्मा
हमको ये मारने आये हैं बचाओ अम्मा
हमको इन लोगों की सूरत न दिखाओ अम्मा
हमको तुम अपने पसे पुश्त छिपाओ अम्मा
मुंह पा हम बच्चों के ज़ुल्म इनके अयान हैं अब तक
देखो ये नील तमाचों के निशां हैं अब तक
हम तो भूले नहीं जोरो सितम इन ज़ालिमों के
याद है छीने थे किस तरह कड़े हाथों के
अब तलक दुखते हैं वल्लाह हमारे पौंचे
हसलियाँ खींची थी इस तरह गले छिल गए थे
छीने आहिस्ता इन्होने ना हमारे बुँदे
कान ज़ख़्मी हुए इस तरह उतारे बुँदे
हम जो रोते थे तो गुस्से से ये धमकाते थे
खींच कर खूं भरे खंजर हमें दिखलाते थे
आप तो पीते थे पानी हमें तरसाते थे
धुप मैं हमको ये बेरहम लिए जाते थे
अब ये क्यों आये हैं पूछे कोई बे पीरों से
हाथ फिर बांधेंगे क्या बच्चों के ज़ंजीरों से
हम बिलकते थे असीरी के जो दुख मैं दिन रात
शाहिद इस से ये ग़ज़बनाक हुए हैं बदज़ात
अम्मा मैं सदक़े तुम्हारे ये कहो जोड़ के हाथ
शामियों इन से ना होयेंगी फिर ऐसी हरकात
सब्र हर दुख मैं करेंगे ये हमारे बच्चे
अब जो रोयेंगे तो गुनहगार हों सारे बच्चे
अब अँधेरे को ना ये देख के घबराएंगे
संगरेज़ों पा ये आराम से सो जायेंगे
खौफ से रातों को उठ उठ के ना चिल्लायेंगे
अब न तडपेगे अगर कैसे ही दुख पाएंगे
गो के बच्चे हैं मगर साबिरों के साबिर हैं
बा खुदा ज़ुल्मों सितम सहने को सब हाज़िर हैं
चूम चूम इनके दहन बेवों ये रोके कहा
अम्मा इस कहने के क़ुर्बान हो और तुम पा फ़िदा
न डरो अब नहीं करने के सितम अहले जफ़ा
आये हैं तुमको रिहा क़ैद से करने अदा
सब भुला दो जो कुछ अदा ने शक़ावत की है
सबीरों ने भी कभी मुंह से शिकायत की है