लैला कहती थी के होता जो मयस्सर सेहरा
माँ तेरे सर पा सजाती अली अकबर सेहरा
सेहरा बंदी का अजब होता वो पुरकैफ़ समां
रहते मौजूद तेरे कुनबे के सब पीरो जवान
होता नौशाह पर सरकारे दो आलम का गुमान
जब बंधाता मेरा हमशकले पयम्बर सेहरा
सेहरा बांधे हुवे अकबर मेरा अच्छा लगता
जिसने देखे हैं पयम्बर उसे वैसा लगता
आदमी क्या हैं फ़रिश्तो को भी ऐसा लगता
जैसे बांधे हुवे बैठे हैं पयम्बर सेहरा
मौत आ जाती मुझे हाय ये क्या क्या देखा
तेरा उलझा हुवा बरछी में कलेजा देखा
हिचकियाँ ले के तेरा दम भी निकलते देखा
हाय तक़दीर न देखा तेरे सर पर सेहरा
हाय कैसी है मेरे लाल ये सेहरा की ज़मीन
दूर तक मिल ही ना पाए चमन-ए-ज़ार कहीं
क्या करूं लाल मेरे फूल तो मिलते ही नहीं
वरना माँ देखती लाशें पा सजाकर सेहरा
सर वो थामे हुवे लाशें के क़रीब बैठ गयी
ग़म जवां लाल का सीने में उधर तशनालबी
बस नदीम इस के सिवा और वो कुछ कह ना सकी
मौत ने छीन लिया हाथ बढ़ाकर सेहरा
Website
Thanks
Noha aad hone ke kitne der bad show hota hai website per?
Salam Alaikum,
Ideal we add the Noha with in 2-4 hrs as we need to format your noha in proper manner so this had been taken some time, we are sorry for the delay. and hope you’ll have a good experience next time onward. you may have a look on the requested noha on the link bellow:
http://bayazegham.in/dheere-dheere-chalo-ali-akabar/
Thanks,
Team Bayaz-e-Gham