जा रहे हो मक़्तल कॊ तुम अगर अली अकबर
छीन लो फूफी से भी पहले ज़िन्दगी अकबर

लाश तेरी आई तो ये हुआ मुझे अहसास
उठ गई मुक़द्दर से मेरी हर ख़ुशी अकबर

ला रही है मय्यत पर बाज़ू थाम कर ज़ैनब
माँ तेरी शहादत से बूढी हो गई अकबर

रात भर भुझाइ थी क्या इसी लिए शह ने
रखकर अपने होटो पर तेरी तशनगी अकबर

रन में शह ने खेची थी जो तेरे कलेजे से
माँ के दिल मे चुभती है हाए वो अनी अकबर

खू बहेगा आँखों से दर्द दिल से उट्ठेगा
माँ को जब भी आएगी याद आपकी अकबर

ये तुम्हारी सीरत पर चल रहा है जो दिलशाद
तुम करो क़यामत तक इसकी रहबरी अकबर

जा रहे हो मक़्तल कॊ तुम अगर अली अकबर