Noha

बोले शह सर कुफ्र का निचा न कर दू तो सही
फिर से मैं इस्लाम को ज़िंदा न कर दू तो सही

सिब्ते पैग़म्बर हूं मैं वारिस खलीलुल्लाह का
कुफ्र तेरी आग को ठंडा न कर दू तो सही

कहते थे अब्बास मिल जाए अगर इज़्ने जिहाद
सारे लश्कर को तहो बाला न कर दू तो सही

बोले असग़र ले तो चलिए मुझ को बाबा दश्त मै
इंकलाब एक फ़ौज मै बरपा न कर दू तो सही

शाम वालो याद रक्खो नाम है ज़ैनब मेरा
मक़सदे शब्बीर को पूरा न कर दू तो सही

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