Noha

अब्बास अब्बास अब्बास अब्बास

अब्बास के कदमो मे है दरिया की रवानी
अब बंद न होगा किसी ज़ीरूह पा पानी

परचम पा ये मशकीज़ा नही मेरी नज़र में
अब्बास के सीने पा है प्यासों की निशानी

मासूमा को रोने की इजाज़त न थी लेकिन
कानो का लहू कहता था बूंदो की कहानी

किस दर्जा थे कांटे शहे वाला के दहन मे
ये पूछिए हम शकले पयम्बर की ज़बानी

किस दर्जा क़रीब आती गई शाम की मंज़िल
बीमार पा बढ़ती ही रही ज़ुल्म रसानी

बाबा की मुसीबत पा बुका करते थे आबिद
जब सामने आता था वज़ु के लिए पानी

हम क्यों न करे ज़ैनबे दिलगीर का मातम
ज़ैनब ही तो है मातमे शब्बीर बानी

फखरी मेरी आँखों से बहे अश्कों के दरिया
याद आ गई शब्बीर की जब तश्ना दहानी

 

———————————————-

عباس عباس عباس عباس

عباس کے كدمو میں ہے دریا کی روانی
اب بند نہ ہوگا کسی ذيروه پا پانی

پرچم پا یہ مشكيذا نہیں میری نظر میں
عباس کے سینے پا پياسو کی نشانی

ماسوما کو رونے کی اجازت نہ تھی لكن
کانوں کا لہو کہتا تھا بودو کی کہانی

ہم کیوں نہ کرے زینبے دلگیرکا ماتم
زینب ہی تو متامے شبیر کی بانی

کس درجہ تھے کانٹے شهے والا کے دہن میں
پوچھے کوئی ہم شكلے پيمبر کی زبانی

جس درجہ قریب آتی گئی شام کی منزل
بیمار پا بڑھتی ہی گئی ظلم رسانی

بابا کی مصیبت پا بكا کرتے تھے عابد
جب سامنے آتا تھا وذ کے لئے پانی

فخری مری آنکھوں سے بہے اشكو کے دریا
یاد آگئی شبیر کی جب تشنا دہانی

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *