वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
ज़ुल्म उम्मत ने जो ढ़ाए वो बताता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
वो मुहम्मद का घराना वो अली का कुनबा
तीन दिन दश्ते बला में जिन्हे पानी ना मिला
अश्क उन प्यास के मारों पे बहता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
दीं अल्लाहो पयम्बर का बचने के लिए
घर से शब्बीर के हमराह बहत्तर निकले
उनकी रूदाद को उन्वान बनाता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
अश्क बरसाने मुहम्मद के घराने के लिए
अंबीआ अर्श से आजाते हैं पुरसाय के लिए
घर मैं जब अपने अज़ा खाना सजाता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
बोले शह ज़ालिमों बे शेयर को पानी दे दो
इसकी रूकती हुई सांसों को रवानी दे दो
इसको तपती हुई रेती पे लिटाता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
खून मैं डूबा हुआ लाशा है जवान अकबर का
आओ अय्यूब ज़रा देखो जिगर सर्वर का
किस तरह लाल की मय्यत को उठाता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
ज़िन्दगी भर मेरे भाई मुझे आक़ा ही कहा
लाशे अब्बास पे नोहा था ये ही सर्वर का
भाई एक बार तो कह दो के बुलाता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
रो के कहती थी मदीने में बहन असग़र की
काश एक रोज़ ये कानों मैं अली अकबर की
आए आवाज़ के लेने तुम्हे आता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
हाए वो शेम गरीबां वो सकीना की बुका
अर्श हिल जाता था सुन के यतीमा की सदा
कब वो पुर दर्द मनाज़िर को भूलता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं
मुझको हम्माद पयम्बर की रज़ा मिलती है
दुख्तारे फातिमा ज़ेहरा से दुआ मिलती है
अश्क जब ओनो मुहम्मद पे बहाता हूँ मैं
वाक़िया कार्बोबला का है सुनाता हूँ मैं