Tanaha Sipaahe Shaam Main Jab Ghir Gaya Husain

Marsia

तनहा सिपाहे शाम मे जब घिर गया हुसैन
और ज़ख़्मी सर से नाख़ूने पाँ तक हुआ हुसैन
चारों तरफ को देख के कहने लगा हुसैन
ए ज़ालिमों हैं बेकसों बे आशना हुसैन

फुर्सत तुम इतनी मुझको बराये इलाह दो
इस्मत सरा तलक मुझे जाने की राह दो


मेरी सकीना प्यासी बिलकती है देखलो
सुखी ज़ुबान मुँह से लटकती है देखलो
दर से लगी हुई मुझे तकती है देखलो
ज़ैनब बहन सर अपना पटकती है देखलो

सर से यहाँ अगर मेरी गर्दन जुदा हुई
खेमे से बानो निकलेगी सर पीटती हुई


खेमे से अहले बैते नबी निकले आते हैं
खा कर पछाड़े खाक सरों पर उड़ाते हैं
ये हाल देख नन्ने बच्चे सहमे जाते हैं
ले ले के मेरा नाम सब आंसू बहाते है

इनको बिठाके परदे मे फिर याँ मैं आऊंगा
वल्लाह सब्रो शुक्र से गर्दन कटाऊंगा


ए ज़ालिमों बताओ मैं हूँ कौन तश्नाकाम
नाना मेरे रसूले खुदा शाफ़ए अनाम
ज़ेहरा है माँ अली हैं पदर साहिबे हुसाम
भाई हसन है और मेरा है हुसैन नाम

क्या है जो आज बात मेरी मानते नहीं
क्यों कर कहूं के तुम मुझे पहचानते नहीं


चुन चुन के तुमने मारे है मेरे रफ़ीक़ो यार
क़ासिम के मारे जाने से सीना है दाग़ दार
अब्बास के फ़िराक़ मैं है क़ौमें ना बकार
आँखें मेरी बरसती हैं खून अब्रे नो बहार

अकबर अली के मरने से मजबूर हो गया
असग़र का मेरे सीने मैं नासूर हो गया


ये सुनके फिर तो तीर लगे मारने लईं
डूबा शफ़क़ में खून के वो आफ़ताबे दीं
गिरने लगा जो खाक पे वो जिसमे नाज़नीं
रो रो पुकारी खेमे से तब ज़ैनबे हजीं

ए ज़ालिमों गिराते हो क्यों आसमान को
काहे को मारते हो मेरे भाई जान को


क्यों ज़ख़्मी कर दिया है इसे सर से ता बपा
ज़ेहरा का दूध पिके ये है परवरिश हुआ
बचपन मैं दोश पर है मोहम्मद के ये चड़ा
बाक़ी येही है वारिसे औलादे मुस्तफा

आओ न तीर लेके तुम इस्पे वतन तलक
भाई को मेरे भेज दो जीता बहन तलक


ये सुनके शह पे टूट पड़े तेग़ज़न तमाम
सीने को छानने लगे नावक फ़िगन तमाम
ज़ख्मों से चूर हो गया शह का बदन तमाम
फिर तो लहू में डूब गया पैरहन तमाम

ज़ख्मों से नातवा जो पाया हुसैन को
नेज़े लगा लगा के गिराया हुसैन को

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *