Sakina Sakina Sakina – Dekha Na Fir Toone Madina

Noha

सकीना सकीना सकीना
देखा न फिर तूने मदीना

सोए कहाँ जाके बेचारी
नींद भी आँखों पा है तारी
अब है कहाँ शाह का सीना

तेरे लिए मर गये अब्बास
और बहाकर गये अब्बास
अपना सभी खून पसीना

थे तो मुस्लमान भी ज़ालिम
पढ़ते थे क़ुरआन भी ज़ालिम
आले मोहम्मद से था कीना

छीन लिए शिम्र ने गोहर
मारे तमाचे भी सरासर
लूट लिया शह का खज़ीना

कहती थी बाबा हो कहाँ पर
मर गयी ज़िन्दान मे जाकर
हो गया दुश्वार ही जीना

प्यार तुझे करते थे सरवर
रहती थे यूं कुन्बे के अंदर
जैसे अंगूठी पा नगीना

रहम ज़रा तूझपा न खाया
ऊँट पा तन्हा तुझे बाँधा
ये रहा उम्मत का करीना
कैसा वो तूफ़ान था आया
पानी किसी ने भी न पाया
डूब गया खूँ मे सफीना

सुनके ये ग़मग़ीन कहानी
ग़मज़दा हैदर की ज़बानी
रोते हैं सब दनाओ बीना

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