Sab Haal e Gham Sughra Zainab Se Mat Poocho

Noha

सब हाले ग़म सुग़रा ज़ैनब से मत पूछो
कैसे लुटा कुनबा ज़ैनब से मत पूछो

हमशकले पैग़म्बर तड़पा था रेती पर
कैसे लगा नेज़ा ज़ैनब से मत पूछो

किस किस को अरमां था अकबर की शादी का
क्यों ना बंधा सेहरा ज़ैनब से मत पूछो

कैसे चला ख़ंजर भाई की गर्दन पर
मंज़र था वो कैसा ज़ैनब से मत पूछो

तुम पर मेरे अब्बास क़ुरबा हुई जब आस
किसने पढ़ा नौहा ज़ैनब से मत पूछो

नोके सिना पर थे सब सर बहत्तर के
क्या क्या बहन देखा ज़ैनब से मत पूछो

जुल्मों सितम ढाना प्यासों को तड़पाना
अहवाल ये सुग़रा ज़ैनब से मत पूछो

दीने पयम्बर पर मक़सदे सर्वर पर
सब का फ़िदा होना ज़ैनब से मत पूछो

बच्चे बिलकते थे जब ख़ैमे जलते थे
माँओं का समझाना ज़ैनब से मत पूछो

कैसे बचा सज्जाद किसने सुनी फर्याद
कैसे जला ख़ैमा ज़ैनब से मत पूछो

ज़िंदा में ऐ हैदर एक बेकसों लाग़र
रोती थी क्यों तनहा ज़ैनब से मत पूछो

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