नहर पर हज़रते अब्बास के लाशें के क़रीब
एक बहन ख़सततनो कुश्ता जिगर ख़ुफता नसीब
बेनवा बेकसों पर्दा ओ लाचार गरीब
लेकिन उसपर भी मोहम्मद के घराने कि नक़ीब
ज़र्द चेहरे पे है बिखरे हुए बालो की नक़ाब
जैसे जुज़दान में लिपटी हुई इस्मत की किताब
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जाँ बजा जिस्म पा है खून के धब्बो के निशां
जैसे पीरी में उठाई हो कोई लाशें जवाँ
बंद आँखे है कमर ख़म है तो खामोश ज़बा
जिस का मुह देख के रह जाते है तिफ़ले नादाँ
लाशें अब्बास पा ये ज़ैनबे मुज़्तर तो नहीं
या जनाज़े पा अली के ये पयम्बर तो नहीं
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मेरे अब्बास क़यामत है बपा तेरे बाद
लुट के बर्बाद हुई आले इबा तेरे बाद
मिट गई दुनिया से अब रस्मे वफ़ा तेरे बाद
ख़ाक है दुनिया में जीने का मज़ा तेरे बाद
मेरे अब्बास दुआ मांगो कि मरजाये बहन
लेके रांडो को यतीमो को किधर जाए बहन
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वक़्ते रुखसत है मेरे शेर इजाज़त दे मुझे
क़ाफ़िला चलने को तैय्यार है हिम्मत दे मुझे
चिलमनें कुफ्र जला दू वो हरारत दे मुझे
यानि तक़रीर में शमशीर की खसलत दे मुझे
रन में शमशीर चलाना तो मेरा काम नहीं
शामो कूफ़ा न उलट दू तो मेरा नाम नहीं