मोहम्मद के नवासे २
ज़िंदा इस्लाम कर गए मोहम्मद के नवासे
ये बड़ा काम कर गए मोहम्मद के नवासे
दींन की सुबह के लिए
दींन की शान के लिए
ज़ुल्म की शाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
नाम के थे जो मुसलमा
रखते थे कैसा वॊ इमा
तश्त अजबान क़र गये
मोहम्मद के नवासे २
ज़ुल्मत कुफ्र हो जहां
हक़ का ही ज़िक्र हो वहाँ
वॊ खबर आम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
कौन थे बादे मुस्तफा
कश्तिए दींन के ना ख़ुदा
दहर में नाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
दी की तबलीग़ हो जहाँ
बन गए लाखों आस्ता
ऐसे इक़दाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
ज़िंदगी हक़ के लिए हो
मौत भी हक़ के लिए हो
नश्र पैगाम कर गए
मोहम्मद के नवासे २
जब पड़ा वक़्त बला का
माँगा इस्लाम ने सदका
नजरें अजसाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
आती है बस यही सदा
सजदाये शुक्र था सदा
ज़ेरे समसाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
गुलशने ज़हरा कट गया
सारा घरबार लुट गया
दीन गुलफाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २
वाहिद उनसे जो है उल्फत
बदले मे गोशाए जन्नत
तेरा इनाम कर गये
मोहम्मद के नवासे २