Maqtal Mai Yahi Kahti Thi Nadan Sakeena

Noha

मकतल मे यही कहती थी नादान सकीना
अब ढुंढे कहा तुम को चचा जान सकीना

मेरे लिए शाने भी कहती ज़ख्म भी खाए
इस जज़्बए ईसार के कुर्बान सकीना

आजाईये पानी के लिए अब ना कहूंगी
क्या जानिए है कितनी पशेमान सकीना

चादर छीनी फूफी की मेरे कानों से बूंदे
नाना को दिखायेगी फेटे कान सकीना

असगर से ये कहना के लिपट जाती है माँ से
जब देखे झूला तेरा सुन सान सकीना

दादी से कहो दे वो दिलासा मुझे आकर
ऐसास की मारी है परेशान सकीना

ग़मगी को अब आप के बाबा की ज़ेयारित
मुद्दत है दिल में यही अरमान सकीना

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