कहती थी सर पीट के शह की बहन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
बेकसो लाचार उठो
क़ाफ़िला सालार उठो
आबिदे बीमार उठो
लुट चुका ज़हरा ओ अली का चमन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
जाने बरादर चलो
वारिसे शब्बर चलो
क़ासिमे मुज़्तर चलो
रोती है एक रात की ब्याही दुल्हन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
मूनिसो ग़मख़ार उठो
शह के अलमदार उठो
फ़ौज के सरदार उठो
खुल गई शानों से मेरे अब रसन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
हो चुके बरबाद चलो
करती हूँ फरयाद चलो
अकबरे नाशाद चलो
ऐ मेरे कड़यल जवां गोह पैरहन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
ऐ मेरी नन्ही सी जां
तुमको बुलाती है माँ
असग़रे तश्ना दहां
सोते हो क्यों ख़ाक पा तश्ना दहन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
वारिसे हैदर उठो
रोती है ख़्वाहर उठो
आओ बरादर उठो
दे ना सकी हाय तुम्हें मैं कफन
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन
क़ैद से आई हूँ मैं
कुनबे को लाई हूँ मैं
जग की सताई हूँ मैं
थे यही बेबाक ज़ैनब के सुख़न
ऐ मेरे प्यारों चलो सूए वतन