Karbala Ke Musafir Hain Aaye Howe

Noha

कर्बला के मसाफिर हैं आये हुऐ
दाग दिल पा बहत्तर के खाये हुऐ

क़ासिमो अकबरो ओनो अब्बास भी
सो रहे हैं सरो को कटाये हुऐ

बादे असग़र किसी को न आई हँसी
मुदत्ते हो गई मुस्कुराये हुऐ

खा रहा है उसे दर्दे बे पर्दगी
एक बीमार है सर झुकाये हुऐ

शामवालो अज़ीयत न देना इन्हें
अपना घरबार सब है लुटाये हुऐ

कैदखाने मैं लैला अकेली नही
यादे असग़र है दिल से लगाये हुऐ

चले सब मदीने को अहले हरम
ज़ुल्म झेले हुऐ ग़म उठाये हुऐ

वो आज़दारे सरवर कहाँ हैं शमीम
जो हैं मक़सद को शह के भुलाये हुऐ

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