Kaale Kapdo Mai Sab Kafila Hai Ya ilahi Ye Kaisa Safar Hai

Noha

काले कपडो में सब कफिला है
या इलाही ये कैसा सफ़र है
आग खैमो मे लगने लगी है
और मसनद के जलने का डर है

पूछता है जो रस्ते मे कोई
खुतबा पड़कर बताती है ज़ैनब
मै तो दुख्तर हुँ मुशकिल कुशा की
मेरे भाई का नेज़े पा सर है

आज सुनले ये सारा ज़माना
एक मज़लूम का है फसाना
रन मे छोटे बडे है बहत्तर
लुट गाया आज सब घर का घर है

लुट के हम करबाला से चले है
क्या वतन है हमारा न पुछो
हम मुसाफिर है राहे खुदा के
अपनी मंज़िल है न कोई घर है

हाये असग़र की तशना दाहानी
रन को कहता गया पानी पानी
तीर से प्यास अपनी बुझाकर
सारी दुनिया से वो बे ख़बर है

ज़लिमो की सताई हुँ लोगो
सर शाहिदो के लाई हुँ लोगो
मेरे माजाये का सर वो हि है
मुस्तकिल जिस पा मेरी नज़र है

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