Jald aa jaao palat kar akbar

Noha

जल्द आ जाओ पलट कर अकबर हसरते दीद लिए बैठी हूँ २
थी ये फर्याद लबे सुगरा पर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

रोज़ इस दिल में चुभन होती है आँख भी खून जिगर रोती है
देख लू आप के सेहरा सर पर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

शादमानी की खबर लाएगी चाँद से घर में दुल्हन आएगी
जगमगायेगा मेरा सूना घर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

रूहनुमाई जो दुल्हन की होगी आरज़ू पूरी बहन की होगी
इस ख़ुशी के लिए जाने मादर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

चैन एक पल को मय्यसर न हुआ छोड़ कर जब से गए हो बाबा
ख़त्म कब होगा बताओ ये सफर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

जब किसी घर मे ख़ुशी होती है आस मुझको भी लगी होती है
अपने घर में भी ये देखु मंज़र हसरते दीद लिए बैठी हूँ

मुस्कुराकर मेरा दिल रखता था वो मुझे प्यार बहुत करता था
साथ आएगा तुम्हारे असग़र हसरते दीद लिए बैठी हूँ

साथ नानी भी खड़ी रहती है आँखे ढेवरि पर लगी रहती है
पड़ती रहती हूँ वज़ीफ़े दिन भर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

आप आजा ओ मे सदके वारी दूर हो जाए मेरी बीमारी
जान शब्बीर फूफी के दिलबर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

अश्क़ आँखों से थे सुग़रा के रवा ये मुसलसल थी रफ़ी उसकी फुगाँ
मुन्तज़िर हूँ तेरी जाने हैदर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

थी ये फर्याद लबे सुगरा पर हसरते दीद लिए बैठी हूँ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *