Jaa Rahe Ho Maqtal Ko Tum Agar Ali Akbar

Noha

जा रहे हो मक़्तल कॊ तुम अगर अली अकबर
छीन लो फूफी से भी पहले ज़िन्दगी अकबर

लाश तेरी आई तो ये हुआ मुझे अहसास
उठ गई मुक़द्दर से मेरी हर ख़ुशी अकबर

ला रही है मय्यत पर बाज़ू थाम कर ज़ैनब
माँ तेरी शहादत से बूढी हो गई अकबर

रात भर भुझाइ थी क्या इसी लिए शह ने
रखकर अपने होटो पर तेरी तशनगी अकबर

रन में शह ने खेची थी जो तेरे कलेजे से
माँ के दिल मे चुभती है हाए वो अनी अकबर

खू बहेगा आँखों से दर्द दिल से उट्ठेगा
माँ को जब भी आएगी याद आपकी अकबर

ये तुम्हारी सीरत पर चल रहा है जो दिलशाद
तुम करो क़यामत तक इसकी रहबरी अकबर

जा रहे हो मक़्तल कॊ तुम अगर अली अकबर

2 replies on “Jaa Rahe Ho Maqtal Ko Tum Agar Ali Akbar”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *