हाये मज़लूम हुसैन – मेरे मज़लूम हुसैन
थे ये ज़ैनब के सुखन
थे ये ज़ैनब के सुखन मेरे मज़लूम हुसैन
अकबरो कसिमो अब्बासे दिलवर मेरे
हाये बिन पानी के मुरझाये गुलेतर मेरे
लुट गया सारा चमन
लुट गया सारा चमन मेरे मज़लूम हुसैन
एक लम्हे के लिए लाश पा भी आ न सकी
फातेहा खानी भी माँजाए की करवा न सकी
है ये मजबूर बहन
है ये मजबूर बहन मेरे मज़लूम हुसैन
भाई शरमिनदा बहुत है ये वफ़ादार बहन
छिन गई सर से रिदा हो गई लाचार बहन
दु भला कैसे कफन
दु भला कैसे कफन मेरे मज़लूम हुसैन
अपने हातो से उठाती मै जानाज़ा तेरा
हो गया कैद मेरे साथ ईरादा मेरा
मैं हुँ पाबंदे रसन
मैं हुँ पाबंदे रसन मेरे मज़लूम हुसैन
कैसे सुगरा से कहूँगी अली असग़र न रहा
एक असग़र हि नही मेरा भरा घर न रहा
मैं न जऊगी वतन
मैं न जऊगी वतन मेरे मज़लूम हुसैन
बस करो फखरी हर एक साहिबे ग़म रोता है
कोई रोता है ज़ियादा कोई कम रोता है
रो रही है अंजूमन
रो रही है अंजूमन मेरे मज़लूम हुसैन