ऐ नहरे अलक़मा अब्बास हैं कहाँ
अब्बास हैं कहाँ – अब्बास हैं कहाँ
तूने सुनी भी है प्यासों की दास्ताँ
मश्किज़ो आलम लाये शहे उमम
मायूस हो गये पानी से सब हरम
क्या क़तल हो गया प्यासों का पासबाँ
खू मैं भरा हुवा शब्बीर का निशाँ
खेमो मैं आया है प्यासों के दरमियाँ
रोती हैं बीबियाँ बच्चे हैं नीमजाँ
शाने कटे हुवे होंगे इधर उधर
मक़्तल मे आये हैं सुल्ताने बहरो बर
कुछ ढूंढते तो हैं लाशो के दरमियाँ
लाशा हुसैन का पामाल हो गया
खेमे भी जल गए सर से छिनी रिदा
बाज़ू मे बंध गई ज़ैनब के रीसमाँ
अज्रे पयंबरी शोहरत अदा करो
ज़ेहरा के लाल का मातम बपा करो
हिलती है ये ज़मीं रोता है आसमाँ