Chelum Karne Aaye Hai Zainab

Noha

चेहलुम करने आई है जैनब
खुलके कहाँ रो पाई है जैनब

हाथ पसे गर्दन में बंधे थे
पुशत प् हाए दुर्रे लगे थे
वो भी यादें लाइ है जैनब

खेमे जले थे उजड़ा चमन था
लाश्हे शेह बे गोरो कफ़न था
हर दर्जा पचहाई है जैनब

क़ैद में गुज़रा पहला चेहलुम
फिर भाई का आया चेहलुम
सर्वर की माँ जाई है जैनब

घर की अमानत साथ नहीं है
हाथ में उसका हाथ नहीं है
घबराई घबराई है जैनब

तुर्बत पर ये बैन है भैया
क़ैद में छूती तेरी यतीम
तुझसे बोहत शरमाई है जैनब

प्यार है कितना भाई बेहेन में
हाल अया है रंजो मेहेन में
शेह की बड़ी शेह्दाई है जैनब

शेह के हरम सब गिर्या कुना हैं
दर्दे आलम में महवे फुगा है
सब की सदा पर छाई है जैनब

है फितरी अब सनिये जेहरा
सदमोन से लगती है जाईफा
धुन्द्लाई धुन्द्लाई है जैनब

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