ऐ आबिद ए बीमार ऐ आबिद ए बीमार
बाजू को हिलाकर यह पुकारे शाहे अबरार
में रन की तरफ जाता हूं होशियार खबरदार
ऐ आबिद ए बीमार – ऐ आबिद ए बीमार
सब हो गये मैदान में अल्लाह को प्यारे – ज़हरा के दुलारे
कासिम है ना अकबर है ना अब्बास ए अलमदार।
ऐ आबिद ए बीमार – ऐ आबिद ए बीमार
तय मैंने किए सारे ही मक़तल के मसाहिल – अब तेरे मसाहिल
ज़िंदान है बाज़ार है और शाम का बाज़ार।
ऐ आबिद ए बीमार – ऐ आबिद ए बीमार
है फिक्र मुझे बाली सकीना की तरफ से – वो मुझसे बिछड़ के
फुरकत में ना मर जाए कही वो ज़िगर अफ़गार।
ऐ आबिद ए बीमार – ऐ आबिद ए बीमार
करना है तुम्हे भी सरे इस्लाम को ऊंचा – हर हाल में बेटा
गर्दन में पहन लीजियो तुम तौक ए खारदार।
ऐ आबिद ए बीमार – ऐ आबिद ए बीमार
मजलिस में शमीम अब ये हर एक लब पे सदा है – खालिक से दुआ है
अच्छा है के अच्छा ही ना हो आपका बीमार।
ऐ आबिद ए बीमार – ऐ आबिद ए बीमार