अम्मू भी सिधारे मेरे बाबा भी सिधारे
अब बहरे मदद किस को ये लाचार पुकारे
बाबा मेरे कानो मे जो पहना के गऐ थे
बुन्दे वो मेरे कानो से ज़ालिम ने उतारे
जिन कानो मे दुर आपने पहनाऐ थे बाबा
बहते हैं उन्ही कानो से अब ख़ून के धारे
बिन आप के काटे नही कटते ये शबो रोज़
ज़िन्दान मे सकीना भला दिन कैसे गुज़ारे
दिन ग़िरयाओ ज़ारी मे ग़ुज़र जाता है सारा
और रात जब आती है तो गिनती हूं मै तारे
एक रोज़ भी ज़िन्दान मे मिलने नही आए
एक बार तो आ जाइए बाबा मेरे प्यारे
बे वालियो वारिस है ये मजबूरी है वरना
हिम्मत थी किसी मे कि रिदा सर से उतारे
माँ फुपियाँ है सो वो भी गिरफतारे बला है
अब नाज़ उठाएगा भला कौन हमारे
ज़ालिम ने सकीना का गला बांधा तो बच्ची
अम्मू को पुकारे कभी बाबा को पुकारे
जी खोल के मै प्यार तो कर लूँ मेरे भय्या
आ जा मेरी आगोश मे आ जा मेरे प्यारे
सद हैफ के दे पाए न बेशीर को पानी
असग़र से पशेमान हैं दरिया के किनारे
जो प्यास मे होंठो पे ज़ुबान फेर रहा था
भूलेगी न दुनिया अली असग़र के इशारे
ज़िन्दान मे अब तक ये सदा आती है ईमान
सब टूट गए हाए सकीना के सहारे