अलमदार न आया अलमदार न आया
अलमदार न आया अलमदार न आया
ये बोली सकीना के अलमदार न आया
दरया से पलटकर मेरा ग़मख़ार न आया
अलमदार न आया अलमदार न आया
जो क़ूवते बाज़ू था फुपि जान का था प्यारा
सक़्क़ाऐ हराम शाह का मददगार न आया
अलमदार न आया अलमदार न आया
जब शाने कटे मश्क छिदी बह गया पानी
कुछ सोच के खेमे में वफादार न आया
अलमदार न आया अलमदार न आया
ये क़ाफ़िला उतरा था यहाँ साये मैं जिसके
क्यों लौट के वो क़ाफ़िला सालार न आया
अलमदार न आया अलमदार न आया
सोता है लबे नहर वो अब सहने कटाये
हैदर पीसरे हैदरे कर्रार ना आया
अलमदार न आया अलमदार न आया