Ahmad Ke Nawase Haye Hussain Haye Hussain

Noha

अहमद के नवासे हाए हुसैन हाए हुसैन
सह रोज़ के पयासे हाए हुसैन हाए हुसैन

आदान ने बुलाया धोके से
सावंत हुस्सैनी घर से चले
फिर लोट घर न आए हुसैन

ज़हरा चमन उजड़ेगा यहाँ
बेटे से पदर बिछ्डेगा यहाँ
क्यों चस्म न खून बरसाए हुसैन

आशूर के सूरज ने देखा
असग़र भी हुवे जब दिन प् फ़िदा
और रह गए तनहा हाए हुसैन

हातों प् है असग़र का लाशा
है तीरे सितम से ज़ख़्मी गला
खेमे मैं इसे क्यों लाए हुसैन

ईमान ये बोली बिन्ते अली
किस मु से मदीने जाऊंगी
ऐ भाई मेरे माँ जाए हुसैन

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