हर आलमे नौमे करमे आम रहेगा
हर दुख मे दवाए दिले नाकाम रहेगा
दुनिया ऐ जिगर के लिए पैगाम रहेगा
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
माना के ज़माने का रहेगा न ये आलम
तरतीब तमादून की भी हो जाए गई बरहम
फिर और किसी रंग में होगा तेरा मातम
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
जर्रो की ज़बा पर है तेरी तशनादहनी
तारो की है देखी हुई अकबर कि जवानी
भूले गी न फितरत अली असग़र कहानी
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
सो बार बदल जाए ज़माने की हवाए
पूरब से चलेंगीं युही पच्चम को हवाए
दोहराएगी लूटे हुए खेमो की सदाए
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
इंसा न करेंगे जो तेरे हक़ में तकलुफ़
मातम की सदा देगा परिंदो का तरन्नुम
आहो से बदल जाए गा गुंचो का तबस्सुम
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
मु गम से निकल आएगा दरिया का ज़रा सा
पानी ये कहेगा की कोई मर गया प्यास
साहिल ये पुकारेगा मुहम्मद का नवास
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
पानी जगह अब्र से बरसे गे शरारे
तड़पे गे महो महवे फलक दर्द के मारे
पुरसा तेरा देंगे तेरे नाना को सितारे
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
अगलब है कि तुर्बत मे तड़प जाएगी मादर
कर्रार के मद्फ़न में बदल जाएगे तेवर
फिर क़ब्र से शायद निकल आएगे पयम्बर
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २
ऐ नजम उलट जाएगा जब परदए ग़ैबत
निकलेगा उधर तेग बक्फ मरकज़े हुज्जत
करती हुई मातम नज़र आएगी क़यामत
दुनिया ये ना होगी मगर इस्लाम रहेगा
शब्बीर बहरहाल तेरा नाम रहेगा २