Karbala Ke Ban Mei koi Qafla Lota Gaya

Noha

कर्बला के बन मई कोई क़ाफ़िला लूटा गया
ऐ अज़ीज़ो खानदाने मुस्तफा लूटा गया

होती है माँ को तमन्ना नोजावा दूल्हा बने
उम्मे लैला का ये अरमाँ बेखता लूटा गया

फातिमा की बेटियों का आसरा अब्बास थे
ज़ैनबो कुलसूम का वो आसरा लूटा गया

असरे आशूरा को तो बच्चे आतश से मर गए
नहर पर प्यासों के दिल का मुददा लूटा गया

गयावी शब् रोशनी देखी तो ज़ैनब ने कहा
ज़ालिमों लूटोगे अब क्या घर भरा loota गया

बोली सुगरा बीबियों की गोदियों को देखकर
बीबियों नन्हा सा वो गुंचा भी क्या लूटा गया

या खुदा लूटा न जाए कोई कुनबा इस तरहा
जिस तरहा ज़हरा का कुनबा जा बा जा लूटा गया

शाम के ज़िंदा मे आ कर मर गई बिन्ते हुसैन
माँ फफी बहनों के दिल के आसरा लूटा गया

One comment(s) on “Karbala Ke Ban Mei koi Qafla Lota Gaya”

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