जब होके गिरफ्तार चलीं आले पयम्बर
थीं हाय नबी ज़ादियाँ बे मक़ना ओ चादर
हर लम्हा सितम ढाते थे बेखोफ सितमगर
उस वक़्त ये ज़ैनब कहा होगा तड़पकर
बे मक़ना ओ चादर मेरा कूफ़े से गुज़र है
रहवार की गर्दन मेरे भाई का सर है
इस वक़्त किसे अपनी हिमायत को पुकारूँ
कोई भी नहीं है जिसे नुसरत को पुकारूँ
सोया हुवा मक़्तल में हर एक नूरे नज़र है
रहवार की गर्दन मेरे भाई का सर है
नन्ही सी सकीना पे तमाचों की है बेदाद
और सेहता है दर्रों की अज़ीयत मेरा सज्जाद
ज़ुल्मो से शिकस्ता मेरे आबिद की कमर है
रहवार की गर्दन मेरे भाई का सर है
राहत की न उम्मीद ना इमकान है हाए
बाजार है दरबार है ज़िन्दान है हाए
इस दम मेरी क़िस्मत में ना खेमा है ना घर है
रहवार की गर्दन मेरे भाई का सर है
जारी है शहादत का सफर नोके सिना पर
सरवर का बदन रन मे है सर नोके सिना पर
इस हाल मे भी उनकी सकीना पर नज़र है
रहवार की गर्दन मेरे भाई का सर है
गर खुद को बड़ा समझे तेरी भूल है फ़ख़री
दुनिया मैं जो लहजा तेरा मक़बूल है फ़ख़री
मोला का करम है ये न फन है न हुनर है
रहवार की गर्दन मेरे भाई का सर है