Gar Mujhako Mazare Shahe Wala Nazar Aaye

गर मुझको मज़ारे शहे वाला नज़र आये ए मुजरई फिरदोस का नक़्शा नज़र आये जाना कहूँ क्या मारेया मैं आले नबी का खेमों में ना उतरे थे के आदा नज़र आये कहती थी ये सुगरा के वो किस तरह न रोए आबाद घर अपना जिसे सूना नज़र आये दूल्हा बने क़ासिम ये दुआ करती थीं ज़ैनब अकबर का भी या रब...