by Bayaz-e-Gham | Jul 13, 2020 | Salam
सब मुझे ज़ाकिर शाहे शोहदा कहते हैं ए सलामी इसे अफ़ज़ाले खुदा कहते हैं आस्ताने शहे मज़लूम का अल्लाह रे शरफ बादशाहों को इसी दर का गदा कहते हैं चलते चलते जो रुका अस्प तो हज़रत ने कहा नहीं मालूम के इस दश्त को क्या कहते हैं आयी हतिफ की निदा घोड़े से उतरो शब्बीर ये वो सहरा...
by admin | Dec 5, 2016 | Nohay
नहर पर हज़रते अब्बास के लाशें के क़रीब एक बहन ख़सततनो कुश्ता जिगर ख़ुफता नसीब बेनवा बेकसों पर्दा ओ लाचार गरीब लेकिन उसपर भी मोहम्मद के घराने कि नक़ीब ज़र्द चेहरे पे है बिखरे हुए बालो की नक़ाब जैसे जुज़दान में लिपटी हुई इस्मत की किताब...