Sab Mujhe Zaakir e Shahe Shohada Kahate Hain

सब मुझे ज़ाकिर शाहे शोहदा कहते हैं ए सलामी इसे अफ़ज़ाले खुदा कहते हैं आस्ताने शहे मज़लूम का अल्लाह रे शरफ बादशाहों को इसी दर का गदा कहते हैं चलते चलते जो रुका अस्प तो हज़रत ने कहा नहीं मालूम के इस दश्त को क्या कहते हैं आयी हतिफ की निदा घोड़े से उतरो शब्बीर ये वो सहरा...