सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

जब उसको याद आती थी फुपी एक पल ना सोती थी
बरसता था लहू आंखों से दामन को भिगोती थी
कभी नौहा कभी मातम में अपनी जान खोती थी
मदीने कब चलोगी ऐ फूपी कहकर ये रोती थी
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

मेरी तुर्बत इसी ज़िंदान के अंदर बना दीजिए
रिदा अश्कों की ऐ अम्मू मुझे आकर उढा दीजिए
मुसीबत मुझपा जो गुज़री है बाबा को बता दीजिए
कभी कहती थी मुझसे ऐ फुपी अम्मा छुड़ा दीजिए
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

परिंदे जा रहे थे अपने अपने आशियानों में
इज़ाफा कर रहे थे और अश्कों के खज़ानों में
गुज़र जाती थी सारी रात बेकस को चुपाने में
तड़पती थी वो घर जाने की खातीर क़ैद खाने में
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

तुम्हारे ज़िक्र से रोती थी ऐसे फूट कर भाई
बरसता है ज़मीं पर जैसे सावन टूट कर भाई
हज़ारों ग़म सहे हैं उसने तुमसे छूट कर भाई
अजल की गोद में सोई है हमसे रूठ कर भाई
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

सकीना को तुम्हारी छोड़ कर किसपर चली आऊं
कहां लेकर मैं अपना ये दिल ए मुज़्तर चली जाऊं
अंधेरे में रहे वो शाम के मैं घर चली जाऊं
रिहा होकर सितम की क़ैद से क्यों कर चली जाऊं
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

अमानत खो गई मुझसे तुम्हारी ऐ मेरे भईया
तुम्हारी चाहने वाली कहां है आज वो ज़िन्दा
ख्यालों में गुलेतर थे नज़र में सहन का नक्शा
बड़ा अरमान था दिल में बहन सुग़रा से मिलने का
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

मेरा दिल मरते दम तक भी ना उसका ग़म भुलाएगा
तड़प जाऊंगी पानी सामने जब मेरे आएगा
तुम्हारी लाडली का ये तसव्वुर खूँ रुलाएगा
लहद पा कौन बेकस की यहां शम्मा जलाएगा
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया

पढ़ा नाजि़्म ने जब नौहा मेरा सज्जाद भी रोया
हक़ीकत पत्थरों की क्या दिल ए फौलाद भी रोया
पड़ा था ऐसा ग़म हर साहिब ए औलाद भी रोया
क़लम के साथ मेरा नोहा गर दिलशाद भी रोया
वतन जाने की हसरत में
सकीना मर गई भईया – सकीना मर गई भईया