Noha

रोके कहता था सरे शाहे शहीदा फ़िज़्ज़ा
है तू ही आले मुहम्मद -2
की निगेहबाह फ़िज़्ज़ा

बलवए आम मे आदा इसे ले जाएंगे
मेरी हमशीर पर जल्लाद सितम ढाएगे
हो न जाए सरे ज़ैनब -2
कही उरियाँ फ़िज़्ज़ा

इसको ज़ालिम के तमाचो से बचाए रखना
मेरी मासूम को सीने से लगाए रखना
मेरी फ़ुरक़ते सकीना-2
न हो गिरिया फ़िज़्ज़ा

नंगे पांव कांटो पा जाएगा मेरा गुल अन्दाम
राह मे थक के कही बैठे जो बीमार ईमाम
करना पैरो से जुदा ख़ारे -2
मुग़ीला फ़िज़्ज़ा

माॅ को तड़पाए जो हमशक्ले पयम्बर का शबाब
याद करके अली असगर को जो मुज़तर हो रबाब
करने देना उन्हे गेंसू -2
न परेशां फ़िज़्ज़ा

भूल कर भी उधर होके न हवा गुज़रेगी
क़ैद मे तीर व तारीक़ फ़िज़ा होवेगी
देगे आदा तुम्हे रहने -2
को वो ज़िन्दा फ़िज़्ज़ा

बांधे शानो मे रसन आदा तो चुपकी रहना
तुमको अम्मा की क़सम शिक्वा न कोई करना
देखो टूटे न कही सब्र -2
का दाॅमा फ़िज़्ज़ा

तुमने अब तक मेरा साथ दिया है बीबी
मुझ प एहसान तुम्हारा यह बड़ा है बीबी
देगी खिदमत का सिला अब -2
तुम्हे अम्मा फ़िज़्ज़ा

कौन सा ज़ुल्म ना आदा ने असीरो पे किया
बाज़ुए बिन्ते अली बांधे सकीना का गला
तू न बेचैन हो सुनकर -2
दिले ईमान फ़िज़्ज़ा

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