Noha

रहे खुदा मैं बहत्तर 72 का खुन दिया शह ने
मैं उनके सदक़े बरादर का खुन दिया शह ने
जनाबे क़सीमे मुज़्तर का खुन दिया शह ने
जवां पिसार अली अकबर का खुन दिया शह ने

कई पहर से जो था खुश्क वो गुलु भी दिया
बस इन्तहा है शहमाहे का लहू भी दिया

—————————————————————–

लिखा है जब कोई हामी न शाहे दीं का रहा
और आप ज़ुल्म की फोजों मे रह गए तनहा
हुजुमे यास ने चरों तरफ से घेर लिया
तो न दहां दरे खेमा से आई रन को सदा

खबर लो जल्द शहे कर्बला दोहाई है
तुम्हारे बच्चे को झूले मैं नींद आई है

—————————————————————–

ये सुनके खेमे की जानिब गए इमामे होदा
क़रीब झूले के पहोचे तो रो के फ़रमाया
मोआफ कीजियो बेकस पदर को ऐ बेटा
के एक पानी का क़तरा तुम्हे पीला न सका

खुदा गवाह बहुत तुमसे शर्म सार हूँ मैं
यक़ीन करो अली असग़र के बेक़रार हूँ मैं

—————————————————————–

ये कह के रोये बहुत और पिसर को प्यार किया
उठाया झूले से हज़रत ने अपना माहे लका
टपक पड़े थे जो चेहरे से अश्के शाहे होदा
वो समझा पानी है बच्चे ने मुं को खोल दिया

तरी जो अश्क़ों की पाई तो मुस्कुराने लगा
ज़बाने खुश्क को होंटो पा वो फिराने लगा

—————————————————————–

कहा हुसैन ने पानी तुम्हे पीला लाएं
चाओगे नाना की उम्मत के पास ले जाएँ
सितम गरों को ये हालत तुम्हारी दिखलाए
सग़ीर जान के शयद उदू तरस खाएं

दहन को खोल के सूखी ज़बा दिखा देना
के तीन रोज़ से प्यासा हूं ये जाता देना

—————————————————————–

ग़रज़ रिदा किया और शाहे दीं पनाह चले
सितम गरों की तरफ शाहे तशना काम चले
पिसार को हातों पा रखे हुवे इमाम चलें
क़दम क़दम पा उधर मोत के प्याम चले

तमाम प्यासों मे प्यारा जो शह था ये पिसार
हुसैन ढाल साया किये थे असग़र पर

—————————————————————–

पुकारे लश्करे बे दीं को जाके सरवरे दीं
तड़प रहा है कई दिन से मेरा माह जबीं
जो कह रहा हूं मैं यारों करो तुम उसपा यक़ीं
खुद आके देख लो पहोचे हैं ये अजल के करीं

जो रहम खाओ तो पानी पिलाने लाया हूँ
इन्हे मैं खेमे से तुमको दिखने लाया हूँ

—————————————————————–

सुनी हुसैन की बातें तो अहले शर रोये
दिलों को थाम के सब साहिबे जिगर रोये
सवार फौज मैं रोने लगे शुतर रोये
बशर पा कुछ नहीं मोकूफ जानवर रोये

हबाब पानी से उठ उठ के जान खोने लगे
जो ज़ी हयात थे आखिर तमाम रोने लगे

—————————————————————–

परे से फौज के नागाह हुरमुला निकला
कमान दोष से तरकश से तीर लेके चला
गुलाये लख्ते दिले शाहे कर्बला ताका
कमा मैं तीर को जोड़ा शक़ी ने और ये कहा

हुसैन अब वो पिलाता हूं आबे सरब इनको
के ताबा हश्र लगेगी न प्यास कमसिन को

—————————————————————–

ये कह के तीर को छोड़ा इधर ये हाल हुवा
के हलक़ छिड़ गया मासूम खु मे लाल हुवा
दहन से खून उगलने लगा निढाल हुवा
एक आह हलकी सी ली और इंतेक़ाल हुवा

पदर ने यास से नन्ही सी जान को देखा
कभी ज़मीं को कभी आसमान को देखा

One comment(s) on “Rahe Khuda Main 72 ka Khoon Diya Shah ne”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *