Noha

निकली तहे शमशीर जो शब्बीर की आवाज़
अब तक है अज़ा में वही तकबीर की आवाज़

पीछे ना हटेंगे ये क़दम नुसरते हक़ मे
गूंजेगी यही हैदरे शमशीर की आवाज़

क्या बात है झूले में तड़पने लगा बच्चा
क्या दिल पे असर कर गई शब्बीर की आवाज़

सर्वर ने कहा शिम्र से सीने से उतर जा
आती है मुझे ज़ैनबे दिलगीर की आवाज़

हर चंद दबाऐंगे ज़माने की सदाएं
दब सकती नहीं हज़रते शब्बीर की आवाज़

बाज़ार में हर शख्स को हैरत है अजब सी
हैदर की है या ज़ैनबे दिलगीर की आवाज़

रोज़े पा पहुँचने का शरफ मुझको अता कर
इमान यही है तेरी तकदीर की आवाज़

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