मुजराई लाये कहाँ से मिस्ले हैदर दूसरा
कब हुआ पैदा कोई काबे के अंदर दूसरा

एक से बुझती नहीं है साक़ी हमारी तश्नगी
दे माए हुब्बे अली का भर के सागर दूसरा

खानए बिन्ते नबी में जब हुए पैदा हुसैन
मिल गया इस्लाम की कश्ती को लंगर दूसरा

रज़्मगाहे कर्बला में फिर से निकली ज़ुल्फ़िक़ार
आ ना जाए ज़द में अब जिब्रील का पर दूसरा

उम्मते जद के लिए अल्लाहो अकबर दूसरा
मिस्ले शह कोई भी न देगा भरा घर दूसरा

तश्ना लब बच्चों की उम्मीदों पा पानी फिर गया
गिर गया अब्बास का बाज़ू जो कट कर दूसरा

यूँ तो दुनिया में हज़ारो हैं मगर मिस्ले अली
ए ताकि मिलता नहीं कोई सुख़नवर दूसरा