कहती थी भाई से बहन हाय हाय
दूँ तुम्हे किस तरह कफ़न हाय हाय

फूल सेहरे के पड़े हैं दश्त मे
लुट गया गुलज़ार हसन हाय हाय

काफिला जब शाम की जानिब चला
थे यही ज़ैनब के सुखन हाय हाय

ऐ मेरे भाई तेरा गुलसा बदन
और ये तपता हुआ बन हाय हाय

क्या निगेबानी करू अत्फाल की
बांध गई शानो मे रसन हाय हाय

तुर्बते शह से लिपट कर ये कहा
आई है अब लुट के बहन हाय हाय

तुर्बते हुसैन से आई सदा
ऐ मेरी मासूम बहन हाय हाय

थे यही ईमान ज़ैनब के बयां
लुट गया अम्मा का चमन हाय हाय