चेहलुम करने आई है जैनब
खुलके कहाँ रो पाई है जैनब

हाथ पसे गर्दन में बंधे थे
पुशत प् हाए दुर्रे लगे थे
वो भी यादें लाइ है जैनब

खेमे जले थे उजड़ा चमन था
लाश्हे शेह बे गोरो कफ़न था
हर दर्जा पचहाई है जैनब

क़ैद में गुज़रा पहला चेहलुम
फिर भाई का आया चेहलुम
सर्वर की माँ जाई है जैनब

घर की अमानत साथ नहीं है
हाथ में उसका हाथ नहीं है
घबराई घबराई है जैनब

तुर्बत पर ये बैन है भैया
क़ैद में छूती तेरी यतीम
तुझसे बोहत शरमाई है जैनब

प्यार है कितना भाई बेहेन में
हाल अया है रंजो मेहेन में
शेह की बड़ी शेह्दाई है जैनब

शेह के हरम सब गिर्या कुना हैं
दर्दे आलम में महवे फुगा है
सब की सदा पर छाई है जैनब

है फितरी अब सनिये जेहरा
सदमोन से लगती है जाईफा
धुन्द्लाई धुन्द्लाई है जैनब