by Bayaz-e-Gham | Sep 15, 2022 | Salam
Aye Chand Karbala ke toone to dekhe honge Utre the is zameen par arshe bareen ke tare Aye Chand… Aye Chand jalwagar hai hashim ka chand yaan par khairat roshni ki le lijiyo yahan se Aye Chand… Aye Chand is zameen par rakhiyo hamesha thandak Sote hain jo...
by Bayaz-e-Gham | Sep 1, 2021 | Salam
मुजराई लाये कहाँ से मिस्ले हैदर दूसरा कब हुआ पैदा कोई काबे के अंदर दूसरा एक से बुझती नहीं है साक़ी हमारी तश्नगी दे माए हुब्बे अली का भर के सागर दूसरा खानए बिन्ते नबी में जब हुए पैदा हुसैन मिल गया इस्लाम की कश्ती को लंगर दूसरा रज़्मगाहे कर्बला में फिर से निकली...
by Bayaz-e-Gham | Aug 23, 2021 | Salam
वाली भी है वसी भी बिलयकीं यूँ भी है और यूँ भी अली ए मुर्तज़ा हादिये दीं यूँ भी है और यूँ भी फ़ज़ाएल हों मसायब हों है मक़सद एक दोनों का तुमहारे ज़िक्र से तबलीग़े दीं यूँ भी है और यूँ भी फ़ज़ाएल सुनके शादाँ हों मसायब सुनके ग़मगीं हों हमारे वास्ते खुल्दे बरी यूँ भी है और...
by Bayaz-e-Gham | Sep 13, 2020 | Salam
क्यों कर ना बहे मुजराई खूं दीदाए तर से आये ना हुसैन इब्ने अली जाके सफर से जाती रही आंखों की बसारत शहे दीं की गुम हो गया जब नूरे नज़र शह की नज़र से शह कहते थे आदा से के दे दो इसे पानी बच्चा मेरा बे आब है चौबीस पहर से वो खोफ था शब्बीर की दुख्तर को शक़ी का चिल्ला के ना...
by Bayaz-e-Gham | Sep 8, 2020 | Salam
साथ शब्बीर के जब यावरो अंसार चले शोर था कोसरो जन्नत के खरीदार चले भेजी अल्लाह ने तत्हीर की चादर जिनको सर खुले हाय ग़ज़ब वो सरे बाज़ार चले मरहबा मरहबा ए क़ूवते बाजुए हुसैन भूके प्यासे सिफ़ते हैदरे कर्रार चले सुबह से असर तलक शाह पा फ़िदा होने को कभी नादान बढे और कभी...
by Bayaz-e-Gham | Jul 13, 2020 | Salam
ग़ज़ब है कुर्सियों पर मुजरई ग़द्दार बैठे हैं ज़मीं पर तौक़ पहने आबिदे बीमार बैठे हैं ग़ज़नफ़र ऐसे होते हैं नयासताने शुजाअत के किये क़ब्ज़ा तराई पर अलम बरदार बैठे हैं इजाज़त चाहते हैं हज़रते अब्बास मरने की झुकाये सर जनाबे सैयदे अबरार बैठे हैं जवनाने हुसैनी मशवरे करते...