Noha

ज़ुल्म जो मुसाफिर पर हो गया न भूलेंगे
उसकी तशनाकामी का माजरा न भूलेंगे
इब्तेदा न भूलेंगे इन्तहा न भूलेंगे
फातिमा के प्यारे का मरसिया न भूलेंगे

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

——————————————————————-

क्या वो ग़म का अफसाना भूलने के क़ाबिल है
क्या वो क़ाफ़िला प्यासा भूलने के क़ाबिल है
क्या फुरात का पहरा भूलने के क़ाबिल है
क़त्ले आम इतरत का भूलने के क़ाबिल है

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

—————————————————————–

जिस ज़मीं पर दम तोड़ा वारिस पयम्बर ने
हर क़दम पे तड़पाया शामियों के लश्कर ने
आखरी आज़ान दे थी जिस फ़िज़ा मैं अकबर ने
ली जहाँ एक अंगड़ाई तीर खा के असग़र ने

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

—————————————————————–

सोगवार आखों के अश्के ग़म ढले कितने
फूट फूट कर रोए दिल के आबले कितने
ताबा शाम आये हैं सख्त मरहले कितने
असर तंग होने तक कट गए गले कितने

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

—————————————————————–

किस ग़ज़ब के तेवर थे ज़ख़्म खाने वालों के
इश्क़ के मुस्सले पर सर कटाने वालों के
रन को जाने वालों के मर के आने वालों के
आज तक लरज़ते हैं दिल ज़माने वालों के

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

—————————————————————–

उस की याद मैं इक दिल कुल जहान रोयेगा
हर ज़ईफ़ रोयेगा हर जवान रोयेगा
ये ज़मीन रोयेगी आसमान रोयेगा
उस का हर तावललाई दे के जान रोयेगा

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

—————————————————————–

अपने मरने वालों को नजम हम भुला देंगे
उस का ग़म उभारेंगे अपना ग़म दबा देंगे
उसकी याद ख़िलक़त का मुद्दा बना देंगे
जी के हम दिखा देंगे मर के हम दिखा देंगे

जो हुसैन पर गुज़री वो जफ़ा न भूलेंगे
भूल जायेंगे सब कुछ कर्बला न भूलेंगे

3 replies on “Bhool Jayenge Sab Kuch Karbala na Bhoolenge”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *