Noha

ऐ उम्मे हबीबा  ऐ उम्मे हबीबा

कर्बल मे हुआ क़त्ल मुहम्मद का नवासा
हैदर का जिगर बंद था वो मेरा था भय्या

ज़ैनब हुँ मै खातूने जिना कि हुँ मै जाई

पहचान न पाई 2

जब वक़्त बिगडता है तो कौन होता है किस का

 

परदेस में सब लुट गई ज़हरा की कमाई

मै रोक न पाई 2

खत भेज के आदा ने मदीने से बुलाया

 

मारे गये ग़ुरबत मे अली अकबरो असग़र

अब्बासे दिलावर

अब औनो मुहम्मद है न है कसिंमे ज़ीजा

 

 

वो सामने नेज़े पा सरे सिब्ते नबी है

मुस्किल की घडी है

है बेडिया पहने हुऐ बिमार भतीजा

 

 

आग़ोश मे शब्बीर की बच्ची है ये मेरे

जो शाम सवेरे 2

क्हती है चचा आओ कभी क्हती है बाबा

 

ज़िन्दाँ मे लिए जाते है अब हमको सितमगर

बिगडा है मुकददर 2

शिकवा तो किसी से नही किस्मत से है शिकवा

 

कोहराम है मज्लिस में शमीम और सुनाता

शब्बीर का नोहा 2

करता हुँ यही खत्म के रुकता नही गिरया

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